0 Ki Khoj Kisne Ki – जीरो कि खोज किसने की? [2022]

0 Ki Khoj Kisne Ki :- मित्रों आप सभी का स्वागत है हमारे इस नए आर्टिकल 0 Ki Khoj Kisne Ki या जीरो कि खोज किसने की में। आज हम बात करने वाले हैं, कि 0 Ki Khoj Kab Hui और 0 Ki Khoj Kisne Ki इत्यादि के बारे में। 

0 Ki Khoj Kisne Ki
0 Ki Khoj Kisne Ki

मित्रों आप लोगो के मन में ये प्रश्न जरूर आता होगा कि “क्या आर्यभट्ट ने शून्य की खोज की हैं?” शून्य की खोज से पहले लोग गणना कैसे करते होंगे तथा शून्य का उपयोग सबसे पहले कब और कैसे हुआ?

तो मित्रों आज की इस आर्टिकल में हम 0 Ki Khoj Kisne Ki से लेकर आप लोगों के जितने भी प्रश्न होंगे उसके बारे में बात करने वाले हैं।

शून्य का परिचय | Introduction of Zero

यह हमारी संख्या प्रणाली की सर्वप्रथम पूर्ण संख्या है। इस एक अंक ने हमारे गणित और विज्ञान को देखने के नज़रिए को बदल दिया है। शून्य के बिना, किसी भी संख्या या अन्य चीजों को गिनना संभव नहीं है। इसलिए हमें यह जानना अतिआवश्यक है कि आखिर शून्य की खोज किसने की?

तो मित्रों शून्य की खोज होने के पहले की कहानी क्या है? गणित और इसके सूत्रों के आविष्कार के बारे में एकदम गहराई से जानने के लिए अनेकों इतिहासकारों और गणितज्ञों ने अलग अलग प्राचीन सभ्यताओं का अध्ययन किया है। 

शून्य कुछ नहीं अथवा कुछ भी नहीं होने की अवधारणा का प्रतीक है। आज के समय में शून्य का इस्तेमाल सांख्यिकीय प्रतीक के रूप में, कठिन समीकरणों को हल करने, गणना की एक विशेष अवधारणा के साथ ही  इसके शून्य कंप्यूटर का भी मूल आधार है। यह आर्टिकल शून्य के आविष्कार से संबंधित है, अर्थात “0 Ki Khoj Kisne Ki” और Kab Hui.

Zero के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी – 0 Ki Khoj Kisne Ki

मित्रों आप लोगों को बता दे की शून्य गणित में पूर्णांक, वास्तविक संख्या या कोई अन्य बीजीय संरचना के योगात्मक पहचान के रूप में उपयोग किया जाता है। वही शून्य के Place Value System को Placeholder के रूप में भी उपयोग किया जाता हैं।

मित्रों शून्य को अंग्रेजी में Zero से, Nought को (UK) से और Naught को (US) से भी दर्शाते हैं। साधारण भाषा में शून्य एक सबसे छोटी संख्या होती हैं। जिनको No-Negative संख्या होती हैं। लेकिन इसका कोई मान नही होता है।

0 Ki Khoj Kisne Ki | Who Discovered Zero In Hindi?

मित्रों सबसे पहले 628 ई. में “ब्रह्मगुप्त” नाम के एक महान विद्वान और गणितज्ञ ने शून्य तथा उसके सिद्धांतों को परिभाषित किया और साथ ही 0 Ki Khoj Kisne Ki। उन्होंने गणितीय जोड़ और घटाव के लिए शून्य के प्रयोग से संबंधित नियम भी लिखा है। तत्पश्चात महान गणितज्ञ और खगोलशास्त्री विद्वान आर्यभट्ट ने दशमलव प्रणाली में शून्य का यूज किया। शून्य हमारे भारत का एक बहुत ही महत्वपूर्ण आविष्कार है। शून्य ने गणित को एक नई दिशा प्रदान किया है और गणित को और भी सरल बना दिया है।

शून्य का इतिहास | History Of Zero In Hindi 

मित्रों भारत के ग्वालियर में एक मंदिर है। जिसकी दीवार पर एक खुदा हुआ चक्र है जो कि नौवीं शताब्दी का है। Oxford University के अनुसार, यह शून्य का सबसे पहले का दर्ज उदाहरण है। जिसको भाखेली पांडुलिपि के नाम से भी जाना जाता है। सन् 1881 ई० में खोजा गया था। इसको ग्वालियर के मंदिर का समकालीन भी माना जाता है। इसी वजह से कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि भारत ने ही शून्य की खोज की है।

कुछ लोगों का यह भी मानना है, कि सर्वनन्दि नामक एक दिगम्बर जैन मुनि के द्वारा रचित लोकविभाग नामक ग्रंथ में शून्य का उल्लेख सबसे पहले देखने को मिलता है।

इस ग्रंथ में दशमलव संख्या पद्धति का उल्लेख भी किया गया है। यह उल्लेख सन् 498 ई० में भारतीय गणितज्ञ एवं खगोलवेत्ता विद्वान आर्यभट्ट ने (सङ्ख्यास्थाननिरूपणम् ) में कहा है, कि सबसे पहले भारत का ‘शून्य’ अरब में ‘सिफर’ के नाम से जाना जाता था।

जिसका अर्थ कुछ भी नहीं होता है लेकिन उसके बाद लैटिन, इटैलियन, फ्रेंच जैसे भाषाओं से होते हुए अब यह अंग्रेजी में Zero के नाम से भी जाना जाता है। Zero को हिंदी में शून्य कहते है जो कि संस्कृत की भाषा से लिया गया है।

चलिए मान लेते हैं कि शून्य का अविष्कार 5वीं सदी में विद्वान आर्यभट्ट जी ने किया, तो हजारों वर्ष पूर्व रावण के 10 सिर कैसे गिने गए वो भी बिना शून्य के। और बिना शून्य के यह कैसे पता लगा लिया कि कौरव 100 थे। लेकिन आज भी यही कहा जाता है कि शून्य की खोज 5वीं सदी में विद्वान आर्यभट्ट जी ने ही किया था।

आर्यभट्ट जी का शून्य के अविष्कार में क्या योगदान हैं?

ऐसे बहुत से लोग मानते हैं कि शून्य का आविष्कार भारत के प्रसिद्ध विद्वान गणितज्ञ और ज्योतिषी आर्यभट्ट जी ने किया था। यह तथ्य काफी तक सही है। क्योंकि विद्वान आर्यभट्ट जी ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सबसे पहले शून्य की अवधारणा दी थी।

आर्यभट्ट जी का यह मानना था कि ऐसा एक अंक तो होना ही चाहिए जो 10 अंकों के प्रतीकों के रूप में, दस का प्रतिनिधित्व कर सकता हो। जिसका कोई मान ना होता हो।

यानी कि मित्रों विद्वान आर्यभट्ट जी ने शून्य की अवधारणा सबसे पहले दी थी और तत्पश्चात छठवीं शताब्दी में शून्य के सिद्धांत दे दिए। आर्यभट्ट ब्रह्मगुप्त के अलावा भी ऐसे एक भारतीय गणितज्ञ थे जिनको इसका श्रेय दिया जाता है। जिनका नाम श्रीधराचार्य था। इन्होंने 8वीं शताब्दी में ही भारत में शून्य का आविष्कार कर दिया था तथा इसके गुणों को भी स्पष्ट किया।

जीरो का अविष्कार कब और कहां हुआ?

मित्रों शून्य के अविष्कार के पहले से ही कई प्रतीकों को स्थानधारक के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। ऐसे में यह स्पष्ट रूप से नही कहा जा सकता है कि शून्य का अविष्कार कब और जैसे हुआ। लेकिन 628 ई० में महान भारतीय गणितज्ञ ‘ब्रह्मगुप्त‘ ने शून्य के प्रतीकों और सिद्धांतो का एकदम सटीक रुप से इस्तेमाल किया था।

यह भी पढे :-

Conclusion –

मित्रों हम आशा करते हैं, कि आप लोगों को एकदम अच्छे से समझ में आ गया होगा कि 0 Ki Khoj Kisne Ki ( शून्य की खोज किसने की ) । इस विषय के बारे में दी गई स्पष्ट जानकारी आप लोगों को अच्छी लगी होगी। अगर आप लोगों को इससे संबंधित कोई Doubts है तो आप लोग उसे कमेंट में पूछ सकते है। 

धन्यवाद……!

0 Ki Khoj Kisne Ki से संबंधित FAQs :-

Q. 0 Ki Khoj Kisne Ki?

“ब्रह्मगुप्त”

Q. क्या आर्यभट्ट ने जीरो का आविष्कार किया था?

खगोलशास्त्री विद्वान आर्यभट्ट ने दशमलव प्रणाली में शून्य का यूज किया है, और शून्य का खोज ब्राहगुप्त ने कि है|

Q. गणित में शून्य का जनक कौन है?

आर्यभट्ट

Leave a Comment